अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से कुचल देने के मामले में ठीक से कार्रवाई न होने से सुप्रीम कोर्ट खफा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से सवाल किया कि क्या आप देश में हत्या के अन्य मामलों में भी आरोपियों के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए कदमों से संतुष्ट नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपियों को गिरफ्तार ना करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि आप क्या संदेश दे रहे हैं.
बता दें कि लखीमपुर खीरी में किसानों पर थार जीप चढ़ा देने का आरोप केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे पर है. अजय मिश्रा के बेटे के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज किया गया है, लेकिन अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है, जबकि घटना को कई दिन बीत चुके हैं. लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जिन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उन्हें गिरफ्तार नहीं किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया .
सुप्रीम कोर्ट ने
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से कहा- क्या आप देश में हत्या के अन्य मामलों में भी आरोपियों के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को उसका यह संदेश राज्य सरकार को देने को कहा कि लखीमपुर खीरी मामले में सबूत नष्ट ना हों.
मालूम हो कि ये घटना तीन अक्टूबर की यूपी के लखीमपुर खीरी की है. किसान यहां प्रदर्शन कर रहे थे. आरोप है कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने किसानों को पीछे से अपनी थार जीप से कुचल दिया. और फरार हो गया. सरकार ने मामले को सँभालने के लिए जान गंवाने वाले मृतक किसानों के परिजनों को 45 लाख और घायलों को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया था. सियासी हंगामे के बाद यूपी सरकार ने केंद्रीय मंत्री के बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया, लेकिन अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया था. जिसकी आज सुनवाई हुई. किसानों की मौत के बाद हुए बवाल में चार और लोगों की मौत हुई थी, इनमें एक बीजेपी कार्यकर्ता भी था. घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हैं.
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